अन्नपूर्णा महाप्रसादम्

‘अभिगम्योत्तमं दानम्‌।’

‘जो जरूरतमंद हैं उनके पास जाकर किया जानेवाला दान ही सर्वोत्तम दान कहलाता है। ’- महर्षि पराशर।

‘सचमुच कई बार कुछ लोग इतने दुर्बल व असहाय स्थिति में होते हैं कि उनके पास सहायता लेने हेतु दाता के पास जाने की शक्ति भी शेष नहीं रहती, इतना ही नहीं तो दाता के सामने आने पर उससे कुछ माँगने की ताकत भी उसके पास नहीं रहती है। ऐसे में इन लोगों को जो कुछ देना होता है वह दाता को स्वयं उनके पास जाकर देना चाहिए। क्योंकि व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन की कमतरताएं दूर करना ही दान के प्रति पवित्र हेतु है’, ऐसा श्रीमद्‍पुरुषार्थ ग्रंथराज के प्रथम खंड में सद्‍गुरु श्रीअनिरुद्ध बापू ने कहा है।

आज भी भारत में ऐसे परिवार हैं, जिन्हें दिनभर की मेहनत के बाद भी एक समय का पेटभर खाना नसीब नहीं होता। जो लोग अपने एक समय के भोजन का इंतजाम ठीक से नहीं कर पाते, वे भला अपने बच्चों को स्कूल कैसे भेजेंगे? और यदि वे अपने बच्चों को भेजते भी हैं, तब भी वे बच्चे पढ़ाई कैसे कर पाएंगे? उन बच्चों को अच्छा आरोग्य भी प्राप्त नहीं होता। इसकी वजह से  पिढ़ी के विकास खंडित हो जाता है। यदि इन बच्चों को उचित मात्रा में पौष्टिक आहार प्राप्त होता है तो यह बच्चे स्कूल जाकर पढ़ाई भी करेंगे और उनकी प्रगति के मार्ग भी खुलेंगे। यही सोचकर सन २००७ में सद्‍गुरु श्री अनिरूद्ध बापू के मार्गदर्शन के अंतर्गत श्री अनिरूद्द उपासना फाऊंडेशन एवं संबंधित संस्थाओं ने ‘अन्नपूर्णामहाप्रसादम्‌’ योजना का आरम्भ किया।

 

अन्नपूर्णा महाप्रसादम्‌ यानी क्या?

श्रद्धावान अन्नदान करके सद्‍गुरु के प्रति अपना प्रेम व्यक्त करते हैं और इसी प्रेमवश श्रद्धावान-सेवक श्रद्धापूर्वक स्कूलों में भोजन बनाकर इन विद्यार्थियों को भोजन परोसते हैं। उनकी इस नि:स्वार्थ सेवा एवं भक्तिभाव के कारण यह भोजन प्रसाद स्वरूप होता है। इसी कारण सद्‍गुरु श्री अनिरूद्ध बापू ने इसे ‘प्रसादम्‌’ कहा है। अनाज की पूर्ति एवं सभी लोगों का पोषण करनेवाली ‘देवी अन्नपूर्णा’ के आशीर्वाद के कारण ही यह कार्य संपन्न होता है। इसी कारण इस योजना को ‘अन्न्पूर्णा महाप्रसादम्‌’ कहा गया है।

अन्नपूर्णा महाप्रसादम्‌ की संकल्पना

१. इस योजना के अंतर्गत श्रद्धावान अनाज, तेल एवं अन्य आवश्यक वस्तुएँ दान कर सकते हैं।
२. दान किया गया सारा अनाज एवं अन्य सामग्री ज़रूरतमंद स्कूलों के लिए विभिन्न स्थानों पर वितरित किया जाता है।

३. स्कूलों में श्रद्धावान सेवक स्वयं जाकर दोपहर का खाना बनाकर विद्यार्थियों को भरपेट खाना खिलाते हैं।

४. इस योजना के कारण दान के समान पुण्यकर्म तो होता ही है इसके साथ ही श्रमदान सेवा के कारण श्रद्धावानों को अपने बुरे प्रारब्ध को नष्ट करने के लिए सद्‌गुरु का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।

५. इसके साथ ही अच्छी शिक्षा की प्राप्ति हेतु शारिरिक ताकत की जो आवश्यकता होती है वह इस भोजन द्वारा विद्यार्थियों को प्राप्त होती है। इससे हम सक्षम भारत बनने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।

 

अन्नपूर्णा महाप्रसादम्‌ का उद्देश्य –

स्कूल में पढ़नेवाले बच्चों को संतुलित एवं पौष्टिक आहार प्राप्त हो और साथ ही दोपहर के भोजन की चाह में ही सही, मां-बाप अपने बच्चों को प्रतिदिन स्कूल भेजें इसी उद्देश्य से यह योजना शुरु की गई है ताकि, इससे भूख एवं शिक्षा दोनों समस्याओं का निवारण हो सके।

वितरन और व्यवस्थापन –

‘श्री अनिरुद्ध उपासना फाऊँडेशन’ द्वारा अनाज, सूखे चना, मटर, दाल, तेल, मसाले, आदि वस्तुओं का दान अनिरुद्ध गुरुक्षेत्रम्‌ खार (पश्चिम), मुंबई में सभी वस्तुएं स्वीकारी जाती हैं। इसके अलावा यह दान फाऊंडेशन के विभिन्न उपासना केन्द्रों द्वारा भी स्विकारा जाता है। श्रद्धावान हर गुरुवार को श्रीहरिगुरुग्राम, न्यू इंग्लिश स्कूल बांद्रा (पूर्व), मुंबई में भी दान कर सकते हैं।

दान किया गया सारा अनाज मुंबई के आसपास विरार, थाना आदि स्थित दुर्गम गाँवों में भेजा जाता है। उन गाँवों के स्थानिक श्रद्धावान-सेवक प्रतिदिन इन विद्यार्थियों को अपने हाथों से ताजा भोजन बनाकर प्रेमपूर्वक खिलाते हैं। बच्चों के खाने के उपरांत  रसोईघर की सफाई करके, बरतन मांजकर श्रद्धावान-सेवक अपनी उस दिन की सेवा सद्‌गुरु चरणों में अर्पण करते हैं।

वर्तमान स्थिति –

अन्नपूर्णा महाप्रसादम्‌ योजना के अन्तर्गत २० से अधिक स्कूलों में ‘श्री अनिरुद्ध उपासना फाऊंडेशन’ की ओर से सेवा प्रदान की जाती है। उदाहरण के तौर पर विद्या वैभव विद्यालय, केलवे रोड़ स्कूल में २५०-३०० विद्यार्थी इस योजना का लाभ उठा रहे हैं। यह बच्चे मेहनत-मजदूरी करनेवाले आदिवासी तथा अन्य दिहाडी मजदूर वर्ग से आये होते हैं। विरार, सफाला एवं मायखोप उपासना केन्द्रों के श्रद्धावान इस सेवा में प्रेमपूर्वक सक्रिय रहते हैं। प्रतिदिन इन बच्चों को दोपहर का खाना दिया जाता है जिसमें दाल, चावल और सब्जी का समावेश होता है। इसके अंतर्गत जो आवश्यक कार्य होता है वह सबकुछ यह श्रद्धावान करते हैं।

जो स्कूल में दो सत्रों में कार्यरत होते हैं उन स्कूलों के लिए ये श्रद्धावान ११.३० से २.०० बजे के दौरान भोजन बनाते हैं। इसकी वजह से दोनों सत्रों के विद्यार्थियों के लिए ताजा एवं गरम खाना उपलब्ध होता है। आज की तारीख में श्री अनिरुद्ध उपासना फाऊंडेशन एवं संबंधित संस्थाओं के ७००-८०० श्रद्धावानों ने इस सेवा में शामिल हैं। अपनी रोजमर्रा की व्यस्त दिनचर्या के बावजूद अपना-अपना व्यवसाय तथा नौकरी करते हुए भी यह श्रद्धावान इस सेवा हेतु प्रेमपूर्वक समय निकालते हैं।

कोल्हापूर वैद्यकीय एवं आरोग्य शिविर –

कोल्हापूर स्थित पेंडाखले गांव में आयोजित किए जानेवाले इस शिविर में हर साल लगभग १०० विभिन्न स्कूलों के ९००० से अधिक विद्यार्थी इस योजना का लाभ उठाते हैं। इस शिविर में अन्नपूर्णा महाप्रसादम्‌ द्वारा दिये जानेवाले भोजन का आनंद यह बच्चे उठाते हैं और साथ ही साथ वे अपनी-अपनी थाली आदि को साफ करके रखते हैं। सभी लोग ‘वदनी कवल घेता…….’ यह प्रार्थना करने के बाद ही भोजन की शुरुआत करते हैं। इसीलिए परमेश्वर का नाम लेकर उन्हें शुक्रिया अदा करके अन्नग्रहण करने का यह संस्कार भी अनजाने ही इन बच्चों पर होता है। अत: अन्नपूर्णा महाप्रसादम्‌ योजना केवल भूख का शमन करने की योजना नहीं है बल्कि, हमारे देश की आनेवाली पिढ़ी को मानसिक, शारीरिक एवं आध्यात्मिक स्तर पर सक्षम एवं उज्ज्वल बनानेवाली महत्त्वपूर्ण योजना है।