विद्या प्रकाश योजना

सद्गुरु श्रीअनिरुद्धजी ने २ अक्तूबर २००२ के दिन तेरह सूत्री कार्यक्रम की घोषणा की। इस तेरह सूत्री कार्यक्रम का चौथा सूत्र था ’विद्या प्रकाश योजना।’

भारत में आज भी अनगिनत ऐसे ग्रामीण इलाके हैं जहां बिजली नहीं पहुंची है और जिन गांवों में बिजली पहुंची है उनके लिए दिन में कुछ घंटे ही बिजली उपलब्ध होती है। दस से तेरह घंटों तक बिजली की कटौती रहती है। ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश स्कूल मध्यवर्ती गांव में होते हैं और आसपास के गांवों के बच्चे उस स्कूल में पढ़ते हैं। अधिकांश भागों में ये बच्चे पैदल ही दूर दूर से आते हैं। शाम को थके हारे घर लौटे ये बच्चे अपनी पढ़ाई कब कर पाएंगे? सूर्यास्त के बाद बिजली न हो पाने के कारण ये बच्चे अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाते हैं। इसी वजह से क्षमता होते हुए भी कई बच्चे अपनी शिक्षात्मक प्रगति नहीं कर पाते हैं। उनका शिक्षात्मक विकास बाधित हो जाता है। सद्गुरु श्रीअनिरुद्धजी का संकल्प है, विद्याप्रकाश योजना द्वारा ऐसे बच्चों को अंधेरे में प्रकाश उपलब्ध करवाकर उनके शिक्षात्मक प्रगति में आनेवाली बाधाएं दूर करना।

जिन इलाकों में बिजली की उपलब्धता नहीं है वहां के विद्यार्थियों की पढ़ाई, गृहकार्य की समस्या का हल निकालने हेतु विद्याप्रकाश योजना के अंतर्गत मोमबात्तियां और माचीस बांटी जाती हैं। मोमबत्तियों के प्रकाश में बच्चे पढ़ सकते हैं। इस विद्याप्रकाश योजना की वजह से विद्यार्थियों को पढ़ाई के लिए बिजली पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है।

इस विद्याप्रकाश योजना का एक आध्यात्मिक महत्व भी है। श्रीराम अर्थात सूरज, हमारे जीवन में प्रकाश। जीवन में सकारात्मकता ही श्रीराम हैं, जो हमें जीवन की नकारात्मकता से, अंधेरे से और शैतान से लड़ने की ताकत प्रदान करते हैं। इन विद्यार्थियों की शिक्षा के लिए मोमबत्तियां भेंट में देना ही प्रकाश का और जीवन का मूल प्रवाह अर्थात श्रीराम के प्रति प्रेम और आदर व्यक्त करना है। इन विद्यार्थियों के जीवन में विद्या का प्रकाश लाने से श्रद्धावानों का जीवन भी प्रकाशमान हो जाता है।

विद्याप्रकाश योजना हेतु कई श्रद्धावान मोमबत्तियां और माचीस दान करते हैं। श्रीहरिगुरुग्राम अथवा श्रीअनिरुद्ध उपासना केंद्रों पर दान स्वरूप स्वीकारीजाती है। ’श्री अनिरुद्ध उपासना फाऊंडेश’ द्वारा दान स्वरूप प्राप्त मोमबत्तियां और माचीस दुर्गम गांवों के जरुरतमंद विद्यार्थियों में बांटी जाती हैं।

इन मोमबत्तियों को धुले, नांदेड आदि जिलों के गांवों में बांटा जाता है। इसके अलावा शहापुर तथा कोल्हापुर और विरार में होनेवाले वैद्यकीय शिविरों में भी इनका वितरण किया जाता है।

यह बात ध्यान में आई है कि, जिन गांवों में विद्याप्रकाश योजना के अंतर्गत इन वस्तुओं का वितरण किया जाता रहा वहां के विद्यार्थियों में अनुत्तीर्ण होने का प्रमाण बड़े पैमाने पर घट चुका है। इसके अलावा स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। विद्यार्थियों की प्रगति भी हुई है। भारत को सक्षम एवं शिक्षित बनाने में विद्याप्रकाश योजना अपना छोटासा योगदान दे रही है।