अनिरुद्धाज् अकॅडमी ऑफ डिझास्टर मॅनेजमेंट
२१ करोड ८० लाख नागरिकों को हर साल प्राकृतिक विपत्तियों (नैचरल डिजास्टर) से जूझना पडता है। तकरीबन २.५ लाख नागरिक इन प्राकृतिक विपत्तियों में अपनी जानें गंवाते हैं। प्राकृतिक विपत्तियों की वजह से लगभग ९३६ अरब डॉलर्स का आर्थिक नुकसान होता है। २१ करोड ८० लाख नागरिकों को हर साल प्राकृतिक विपत्तियों (नैचरल डिजास्टर) से जूझना पडता है। तकरीबन २.५ लाख नागरिक इन प्राकृतिक विपत्तियों में अपनी जानें गंवाते हैं। प्राकृतिक विपत्तियों की वजह से लगभग ९३६ अरब डॉलर्स का आर्थिक नुकसान होता है।
भारत में सन २००० से सन २०१७ तक ७६ हजार से अधिक नागरिक प्राकृतिक विपत्तियों में मारे गए। इसके अलावा ४ लाख अरब रुपयों का (चार ट्रिलियन) आर्थिक नुकसान भी हुआ।
बाढ, भूकंप, तूफान, त्सुनामी इन प्राकृतिक विपत्तियों संदर्भ में यह संख्या दिल देहलानेवाली है। इसके अलावा दंगे, बम विस्फोट, आग, परमाणु युद्ध, रासायनिक एवं जैविक युद्ध जैसी मानवनिर्मित विपत्तियां भी हम पर अचानक ही आ धमकती हैं। वातावरण में बदलाव और विश्व स्तर पर हो रही उथलपुथल देखें तो ऐसी प्राकृतिक और मानवनिर्मित विपत्तियों का प्रमाण और धोखा अधिकाधिक बढता जा रहा है। इन विपत्तियों को हम भले ही रोक नहीं सकते, पर इनसे होनेवाली जीवित हानि और आर्थिक नुकसान कम करने के लिए हमें तत्पर रेहना चाहिए। इन प्राकृतिक एवं मानवनिर्मित संकटो का डटकर सामना करने के लिए प्रशिक्षित होने की आवश्यकता है। इसलिए विशेष प्रशिक्षण-प्राप्त नागरिक ऐसी विपत्तियों की स्थिति में बचावकार्यों में बहुत सहायक साबित हो सकते हैं। अनिरुद्धाज ऐकेडमी ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट (एएडीएम) विपत्तियों का सामना करने के लिए तत्पर प्रशिक्षित स्वयंसेवक और नागरिक तैयार कर रहा है। १४ मार्च २००२ को सद्गुरू अनिरुद्ध (बापूजी) ने अनिरुद्धाज ऐकेडमी ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट की स्थापना की घोषणा की। बापूजी ने तब कहा था कि, “….घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते| इस मंत्र का प्रैक्टिकल ही एएडीएम है।”
१३ दिसम्बर २००१ को आतंकवादियों ने संसद भवन पर हमला किया था। इस हमले के बाद प्रत्येक को विपत्ति व्यवस्थापन की जरुरत के मद्देनजर बापूजी ने दिन-रात मेहनत करके अनिरुद्धाज ऐकेडमी ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट की स्थापना की।
प्राकृतिक एवं मानव निर्मित विपत्तियों के समय सामान्य नागरिकों की सहायता के लिए हमेशा तत्पर रेहना ही इस स्वयंसेवक संस्था की स्थापना का उद्देश्य है। धर्म, वंश, लिंग आदि कोई भी भेदभाव न करना और विपत्ति की परिस्थिति में सहायता के लिए तत्परता से शामिल होना तथा प्रशासन की सहायता करनेवाले कार्यकर्ता तैयार करने का कार्य एएडीएम द्वारा किया जाता है। उनके इस कार्य के लिये संस्था पूर्णत: मुफ्त प्रशिक्षण देती है। अब तक लगभग ७३ हजार १९१ प्रशिक्षित स्वयंसेवकों को संसथा तैयार कर चुकी है। उन्हें डिजास्टर मैनेजमेंट वॉलनटियर (डीएमवी) कहा जाता है।
प्राकृतिक एवं मानव निर्मित विपत्तियों में अपना खुदका बचाव करते हुए दूसरों को कैसे बचाया जा सकता है, किस तरह के बचावकार्य सहायक होंगे, इसका प्रशिक्षण डिजास्टर मैनेजमेंट के कोर्स द्वारा संस्था में दिया जाता है। बचाव के विभिन्न तरिके, अग्निशामक यंत्र, अग्निशामक के प्रकार, बैंडेजेस, गांठें (Knots), विपत्ति-ग्रस्त को उठाने के तरीके (स्ट्रेचर्स) सी.पी.आर. (कार्डियो पल्मनरी रिसस्सिटेशन अर्थात हृदय, फेफडों की क्रिया का पुनरुज्जीवन), आदि का प्रशिक्षन इस कोर्स में दिया जाता है। व्यावहारिक एवं अध्ययन सत्रों का आयोजन भी समय समय पर किया जाता है। प्रथम प्रशिक्षित बैच में से चुनिन्दा स्वयंसेवकों ने आगे की बैचेस को प्रशिक्षित किया और उनमें से ट्रेनर्स तैयार किए गए। वे ट्रेनर्स अब विभिन्न स्थानों पर जाकर इस कोर्स का आयोजन करते हैं।
एएडीएम के डीएमवीज विपत्ति के समय हमेशा सेवातत्पर रहते हैं। इसके लिए एएडीएम के केंद्रीय कार्यालय में स्वतंत्र व्यवस्था की गई हैं। इसमें डीएमवी के नंबर और अन्य आवश्यक जानकारी संग्रहीत है। अगर कहीं कोइ विपत्ति आती है तो सूचना मिलते ही और उसके लिए स्थानिक प्रणाली द्वारा सहायता की मांग होते ही यह व्यवस्था कार्यरत की जाती है। मोबाईल संदेश और अन्य माध्यमों द्वारा डीएमवीज तक संदेश पहुंचाया जाता है। उसके बाद जो जो डीएमवी वहां पहुंच सकते हैं वे शीघ्रातिशीघ्र विपत्ति के स्थान पर जा पहुंचते हैं और प्रशासनिक मार्गदर्शकों के नेतृत्व में उनकी आवश्यक सहायता करते हैं।
प्राकृतिक अथवा मानवनिर्मित विपत्ति के समय फैली गडबडी को नियंत्रित करना, दखनेवालों की भीड़ पर नियंत्रण करना जरुरी होता है। या किसी त्यौहार, उत्सव के समय भीड़ को अनुशासित करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। विपत्तियों के समय डरकर नहीं बल्कि उस परिस्थिति में उपलब्ध साधनों का इस्तेमाल करके उपाय करने पर ध्यान केंद्रित करना पडत है। ’एएडीएम’ का प्रशिक्षण इसी तरह के ’डीएमवीज’ तैयार करता है।
* २६ जुलाई २००५ के दिन मुंबई में बादल फटने से हाहाकार मच गया था। घंटेभर में ही धुआँधार बारिश दर्ज की गई थी। जिन स्थानों पर कभी भी पानी जमा नहीं होता था उन स्थानों पर भी बहुत पानी जमा हो गया था। मिठी नदी में भी बाढ आ गई। बांध का पानी छोडने के कारण बांध के इलाकों में तकरीबन दूसरी मंजिल तक पानी जा पहुंचा था। ऐसी विपत्ति के समय ’एएडीएम’ के ’डीएमवीज’ द्वारा किए गए बचावकार्य का जवाब नहीं।
तब ’डीएमव्हीज्’ ने प्लास्टिक की फेंकी गई हवाबंद बोतलों से तरापे बनाए और बाढ के पानी से महिलाओं, बच्चों, वृद्धों को बचाकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने का कार्य किया था। कई जगहों पर स्थानिक विक्रेताओं का माल सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने हेतु ’डीएमव्हीज’ ने सहायता भी की थी। इसके अलावा बाढ़ के बाद विभिन्न स्थानों पर जाकर विपत्तिग्रस्त लोगों को ’एएडीएम’ द्वारा कपडे ओर दवाईयां का वितरण भी किया गया।
इस घटना के बाद मुंबई के नागरी अधिकारी मान्सून डिजास्टर प्लान की योजना बनाने के लिए हर साल एएडीएम को आमंत्रित करते हैं। बरसात के मौसम में इस तरह की विपत्तियों का सामना करने के लिए ’एएडीएम’ के डीएमवीज हमेशा सहायता के लिए तत्पर रहते हैं।
साकीनाका एवं कुर्ला में भूस्खलन जैसी भीषण घटनाओं के बचाव कार्यों में अग्निशामक दल और पुलीस दल को डीएमव्हीज ने सहायता की। लाशों को बहार निकालना, जखमियों को अस्पताल पहुंचाना, प्राथमिक चिकित्सा कराना, घटनास्थल पर बडे बडे भारी पत्थर हटाने में डीएमवीज ने सहायता की।
* फेअरडील कॉर्पोरेशन (जोगेश्वरी, मुम्बई) (२६ जनवरी २००६), हंसा इंडस्ट्रियल इस्टेट (साकीनाका, मुम्बई) शॉर्टसर्किट से लगी आग के दौरान (६ जुलाई २००६) पुलिसदल को और अग्निशामक दल को डीएमवीज ने सहायता की।
* जवेरी बाजार, मुंबादेवी बम विस्फोटों से घायलों की जानें बचकर उन्हें अस्पताल पहुंचाने का कार्य भी डीएमवीज द्वारा किया गया।
* ११ जुलाई २००६ के दिन मुंबई में पश्चिम रेलवे की लोकल ट्रेनों में हुए बम विस्फोटों में घायलों को अस्पताल पहुंचाने, उनके नाम दर्ज कराने और प्राथमिक चिकित्सा में स्टाफ की सहायता करने का कार्य डीएमवीज ने किया।
* २ दिसम्बर २००२ के दिन घाटकोपर और ६ दिसम्बर २००२ के दिन मुंबई सेंट्रल में हुए बम विस्फोटों के दौरान भी डीएमवीज ने सहायता कार्यों में सक्रीय भाग लिया।
विभिन्न सार्वजनिक उत्सवों में भीड़ का नियंत्रन
१) गणपती विसर्जन एवं पुनर्विसर्जन – मुंबई, ठाणे, पुणे में हर साल सर्वाजनिक गणपती उत्सव बडे धुमधाम से मनाया जाता है। इस उत्सव में डेढ, दो, पांच, सात और दस दिनों के गणपती विसर्जन के समय चौपाटियां और विजर्सन के अन्य स्थानों पर बहुत भीड़ उमड़ती है। इस भीड़ को नियंत्रण करने के लिए ’एएडीएम’ के स्वयंसेवक अर्थात डीएमवीज का बडा योगदान होता है। नगर-पालिका प्रशासन, पुलिस, अग्निशामक दल, आदि सरकारी प्रशानों की सहायता की जाती है। मुंबई, ठाणे, पुणे के अलावा संपूर्ण राज्य में ५१ स्थानों पर ’एएडीएम’ की सेवा चलती है। इन सेवाओं मैं ६ हजार से अधिक डीएमवीज शामिल होते हैं। मुंबई, पुणे के डीएमवीज की इस सेवाकार्य की प्रशंसा अनेकों बार स्थानिक प्रशासकों ने की है। प्रभात समय विसर्जन पूरा होने तक डीएमवीज प्रमुख विसर्जन सथलों पर उपस्थित रहते हैं।
इसके अलावा गणपती विसर्जन के बाद समुद्र कि लहरों के साथ दुबारा किनारे पर आनेवाली गणेशमूर्तियों का पुनःर्विसर्जन भी एएडीएम द्वारा किया जाता है। हर साल बडी संख्या में डीएमवीज इस सेवा में भाग लेते हैं। अनंत चतुर्दश के दूसरे दिन श्री अनिरुद्ध उपासना फाऊंडेशन की सलग्न संस्थाओं की सहायता से इस सेवा का आयोजन किया जाता है। डीएमवीज द्वारा किनारे पर आई हुई गणेशमूर्तियों के खंडित अवशेष इकठ्ठे करके गहरे समन्दर मैं विसर्जित किए जाते हैं। प्रशासन द्वारा कई बार संस्था की इस सेवाकार्य की प्रशंसा की गई है।
२) ज्योतिबा का वार्षिकोत्सव, कुंभ मेला, माऊंट मेरी मेला (बान्द्रा), सज्जनगड दासनवमी के दिन श्रद्धावानों की भीड़ का नियंत्रण और वैद्यकीय सहायता एएडीएम के डीएमवीज द्वारा की जाती है।
३) सिद्धीविनायक, (प्रभादेवी मुंबई), गणपतीपुले (रत्नागिरी), सिद्धटेक (दौंड, पुणे) और सप्तश्रृंगी (वणी, नासिक) इन स्थानों पर चैत्र ओर अश्विन माह की नवरात्रि में सेवा, महालक्ष्मी मंदिर (मुंबई) में नवरात्रि में भीड़ का नियंत्रण तथा लाईन कंट्रोल, पानी पिलाना, वैद्यकीय सहायता करना, इस तरह पुलिस, तथा स्थानिक प्रशासन की सहायता का कार्य डीएमवीज द्वारा किया जाता है। सावन के सोमवार और महाशिवरात्रि के दिन विभिन्न शिवमंदिरों के मेलों में मुंबई और अन्य गावों में भीड़ (बाबुलनाथ, महाबलेश्वर मंदिर, अंबरनाथ मंदिर जैसे ११ स्थान) के नियंत्रण हेतु डीएमवीज सहायता करते हैं।
४) मांढरादेवी वार्षिक मेला – सन २००५ में सातारा स्थित मांढरादेवी के वार्षिक मेले में मची भगदड में लगभग २५० श्रद्धालुओं की जानें गईं। तत्पश्चात डीएमवीज ने वहां पर प्रशासन की सहायता करने और भारी भीड़ को नयंत्रित करने का कार्य किया। उस अप्रिय घटना के बाद कुछ सालों तक मांढरादेवी मेले के दौरान भीड़ का नियंत्रण करने हेतु डीएमवीज प्रशासन की सहायता करते रहे। महिलाओं एवं पुरुष डीएमवीज द्वारा की गई इस सेवा की सराहना तत्कालीन मुख्यमंत्री ने की थी।
५) जब जिजामाता उद्यान, मुम्बई में मई २०१७ की छुट्टियों के दौरान पेंग्वित पंछी को देखने के लिए भारी भीड उमड पडी तब प्रशान ने नियंत्रण के लिए डीएमवीज की भी साहयता मांगी।
६) इन्कम टैक्स रिटर्न फाईलिंग के दौरान कुछ साल पहले भीड़ के नियंत्रण हेतु प्रशासन को सहायता की गई थी।
७) औरंगाबाद पैठण में नाथछ्ठ के दिन भीड़ को नियंत्रण करने की सेवा हर साल की जाती है।
इसके अलावा केंद्रीय सरकार अथवा स्थानिक प्रशासन द्वारा जब भी किसी कार्यक्रम या त्यौहार हेतु सयायता की मांग की जाती है तब ’एएडीएम’ हमेशा सहायता का हाथ बढाती है।
पल्स पोलिओ रोग-प्रतिरक्षण
केंद्रीय प्रशासन की इस योजना के अंतर्गत ६ साल से छोटी उम्र के बच्चों को निश्चित अवधि तक हर माह पल्स पोलियो का टिका लगाया जाता है। इस रोग-प्रतिरक्षण की मुहिम के लिए महानगरपालिका द्वारा एएडीएम कार्यकरताओं की मांग की गई थी। इस कार्य में एएडीएम द्वारा आवश्यक सेवा प्रदान की जाती है। मुंबई, ठाणे, कल्याण, डोंबिवली, नवी मुंबई, आदि स्थानों के कार्यकरताओं का इस सेवा में सक्रिय सहभाग रहता है।
संस्था द्वारा कराए जानेवाले कोर्सेस
१) बेसिक कोर्स ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट
२) फायर फाईटर कोर्स
३) रेस्क्यू प्रैक्टीसेस
४) कॉर्पोरेट कोर्स फॉर डिजास्टर मैनेजमेंट
५) ट्रेनिंग कोर्स फॉर पुलिस डिपार्टमेंट (इस तरह के कॉर्स का आयोजन करने कि बिनति होने पर)
६) वर्मिकल्चर ट्रेनिंग
७) परेड ट्रेनिंगइन सभी कोर्सेस की अवधि अलग अलग है और सभी कोर्स नि:शुल्क हैं।
कॉर्पोरेट सेक्टर ट्रेनिंगधुलिया, नंदुरबार में पुलिस महानिरीक्षकों के आमंत्रण पर पुलिसवालों के लिए खास प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन संस्था द्वारा किया गया था। इसके अलावा नंदुरबार जिल्हा अधिकरी ने भी नंदुरबार और शहादा में भी प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया था। ’बेस्ट’ के कर्मचारियों तथा नवल डॉकयार्ड के लिए भी प्रशिक्षण का आयोजन किया गया था। इस तरह प्रशासन की बिनती पर कई संस्थांओं में इस तरह की प्रशिक्षण पाठशालाओं का आयोजन किया जाता है। स्कूलों और महाविद्यालयों की बिनती पर शिक्षक, कर्मचारी एवं विद्यार्थिओं के लिए प्रशिक्षण कोर्स आयोजित किए जाते हैं।
एएडीएम की पुस्तक’द टेक्स्टबुक ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट’ ऐकेडमी द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक तो सर्वांगसुंदर मार्गदर्शक पुस्तक है। विपत्ति यानी क्या? उसके क्या कारण हैं? उस पर कौनसे उपाय हैं? यह किताब इन बातों का मार्गदर्शन करती है। अप्रैल २००२ में यह किताब प्रथम अंग्रेंजी में प्रकाशित की गई थी। जुलाई २००२ में मराठी में यह किताब प्रकाशित की गई। अग्रेंजी किताब का दूसरा संस्करण दिसम्बर २००२ में और तीसरा संस्करण जुलाई २००७ में प्रकाशित हुआ। मराठी किताब का दूसरा संस्करण नवंबर २००८ में, तीसरा संस्करण मार्च २००९ में और चोथा संस्करण जुलाई २०१२ में प्रकाशित हुआ।
पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन में एएडीएम योगदान देता है।
व्हर्मिकल्चर (केचुआ खाद)पूरे महाराष्ट्र में अब तक तकरीबन ५०० टन कचरे से लगभग ११० टन केचुआ खाद बनाया गया और जरूरतमंद किसानों में नि:शुल्क वितरित किया गया है।
मुम्बई में मध्य रेलवे कार्यालय (सीएसएमटी), सेबी (बान्द्रा), नवल डॉकयार्ड (कुलाबा), एफ.डी.सी (जोगेश्वरी), पोचखानवाला बैंकर्स ट्रेनिंग कॉलेज (सांताक्रूज), डी.आय.एल.लि. (ठाणे), भवन्स महाविद्यालय (अंधेरी), आय.ई.एस स्कूल (मरोल), मुंबई महानगरपालिका के सारे वॉर्डस के स्कूल इन सभी को एएडीएम द्वारा केचुआ खाद बनाने का प्रशिक्षण दिया गया।
फिलहाल केचुआ खाद योजना तुंगा इंटरनैशनल हॉटेल (मरोल, मुंबई) और पिंपलेश्वर मंदिर (डोंबिवली) में जारी है। इसके लिए एएडीएम की टीम कार्यरत है।
इसके अलावा संस्था के अनेकों स्वयंसेवक अपने घर पर ही छोटा केचुआ खाद प्रकल्प चला रहे हैं। इससे निर्माण होनेवाला खाद इकठ्ठा करके वितरित किया जाता है।
वृक्षारोपणअन्य संलग्न संस्थाओं की सहायता से डीएमवी यह प्रकल्प कई स्थानों पर चलाते रहते हैं। जहां कहीं जरूरत होती है वहां सहायता की जाती है। महाराष्ट्र में अब तक एएडीएम की सहायता से ६०,००० पौधे लगाए गए हैं।
श्रीअनिरुद्ध उपासना फाऊंडेशन के सामाजिक तथा सांस्कृतिक उपक्रमों में भी एएडीएम के डीएमवीज सेवा करते हैं। यह उपक्रम हैं,
* अन्नपूर्णा महाप्रसादम योजना – ग्रामीण भागों के विद्यार्थी, कोल्हापूर वैद्यकीय और आरोग्य शिविर में आनेवाले ग्रामिणों को भोजन वितरण।
* इको-फ्रेंडली गणेशमूर्ति – रामनाम बही के पन्नों के गूदे से गणेशमूर्ति बनाना।
* रक्तदान शिविर।
* अनिरुद्धाज बैंक फॉर द ब्लाईंड – ऑडियो कैसेट्स और सीडीज बनाकर नेत्रहीन छात्रों को विषय समझाना और सीडीज का नि:शुल्क वितरण।
* चरखा योजना – धागे के लच्छों से युनिफॉर्म बनाना।
* बारह मास खेती-चारा योजना।
* रद्दी योजना।
* पुराना ही सोना योजना – पुराने परंतु न फटे हुए कपडे, बरतन, किताबें, कापियां, खिलौने, आदि दुबारा उपयोग में आने जैसी वस्तुएं जरूरतमंद परिवारों को देना।
* वत्सलता की गरमाहट – गुधडीयाँ बनाकर गरीब, वृद्ध, छोटे बच्चे, विद्यार्थी, औरतों को देना।
* विद्या-प्रकाश योजना – जिन ग्रामिण विद्यार्थियों के घरों में बिजली की सुविधा नहीं है, उन्हें मोमबत्तियां और माचिस प्रदान करना।
इस तरह की अनेक सेवांओ में डिएमवीज भाग लेते हैं।
एएडीएम के आगामी उपक्रम –
एएडीएम के विचाराधीन कुछ उपक्रम निम्नलिखित हैं –
१) प्लास्टिक के उपयोग पर नियंत्रण तथा हमेशा के लिए उपाययोजना।
२) कुष्ठरोग और उसके उपायों पर उचित मार्गदर्शन।
३) एच.आय.वी, एड्स के बारे में उचित जानकारी और रोग मिटानेवाले उपायों का मार्गदर्शन।
४) कारखानों और मिलों की विपत्तियों का अध्ययन।
सन २००२ में सदगुरु अनिरुद्ध बापूजी ने पहली बार जब एएडीएम की स्थापना की घोषणा की थी तब उन्होंने कहा था, “यह ऐडवेंचर क्लब नहीं है। कोई भी ऐडवेंचर करने के लिए इस संस्था की स्थापना नहीं की गई है।”
आज विश्व में घटनेवाली घटनाएं, प्राकृतिक और मानवनिर्मित विनाशकारी विपत्तियों कि बढती तीव्रता के मद्देनजर प्रत्येक नागरिक का आनेवाली विपत्तियों का सामना करने के लिए सक्षम रहना बहुत जरुरी हो गया है। कई बार विपत्ति के बाद होनेवाली बिमारीयाँ विपत्ति से अधिक भयंकर उत्पात मचाती हैं, बौखलाहट की वजह से मचनेवाली भगदड। कई बार कोई घटना घटने पर, वहाँ उपस्थित लोगों को पता नहीं होने की वजह से आपत्ती की तीव्रता बढ जाती है। ऐसी स्थिति में अधिकतम लोग विपत्ति का सामना करने हेतु प्रशिक्षीत हों तो बडे पैमाने पर जीवितहानी को टाला जा सकता है। इससे भविष्य में आनेवाली मुसिबतों का सामना करने के लिए हर किसीको …घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते। स्रोत के प्रैक्टिकलवाला कोर्स करना बहुत जरुरी हो गया है और यह ऐडवेंचर नहीं है बल्कि, समय की मांग है, इस बात को भूलना नहीं चाहिए।
एएडीएम के लिए संपर्क का पता है –
‘अनिरुद्धाज् अकॅडमी ऑफ डिझास्टर मॅनेजमेंट’
६०१ , लिंक अपार्टमेंट, ६ ठी मंजिल,
पुराना खारी गाव, खार (पश्चिम),
मुंबई – ४०००५२.
फोन नं ०२२-२६०५७०५४ – ५६ , २६०५४४७४
ईमेल : [email protected]
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