जनरल नॉलेज बैंक
ज्ञान भी भक्ति से ही मिलता है और भक्ति से ज्ञान उत्पन्न होता है, परन्तु यदि हमें यह पता ही नहीं होगा कि भक्ति किसकी करनी है तो…….. अर्थात हमें इतना तो ज्ञान होना ही चाहिए और इस ज्ञान की उपासना किए बगैर आज के दौर में कोई चारा नहीं है।
3 अक्तूबर 2002 को सद्गुरु श्रीअनिरुद्ध बापूजी ने अपने 13 सूत्री योजना की जानकारी देते हुए सेवा एवं भक्ति के साथ- साथ ’ज्ञान’ की संकल्पना पर भी जोर दिया था। इसी संकल्पना को आगे बढा़नेवाली अनोखी योजना है ’जनरल नॉलेज बैंक।’
विश्व में निरंतरता से घटनेवाली जो बात है वह है बदलाव (Change is the only Constant thing in the World). और हररोज प्रति क्षण विश्व में होनेवाले बदलावों की अर्थात घटनाओं की जानकारी रहे और उसकी आदत पडे़ इसलिए ’जनरल नॉलेज बैंक’ की शुरुआत की गई।
विज्ञान और टेक्नॉलॉजी की वजह से विश्व बहुत संकुचित हो गया है। इसलिए बदलते हुए विश्व से जुडे़ न रहें, समय और टेक्नॉलॉजी की रफ्तार के साथ न चलें तो हम निश्चितरूप से पिछड़ सकते हैं। इसी तरह अपने क्षेत्र के अलावा अन्य क्षेत्रों की भी जानकारी रखना आज के युग में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसीलिए आज के दौर में जनरल नॉलेज का महत्व सभी के दृष्टिकोण से अनन्यसाधारण है।
’जनरल नॉलेज बैंक’ की रचना
1. सद्गुरु श्रीअनिरुद्धजी द्वारा किया जानेवाला संवाद –
सद्गुरु श्रीअनिरुद्धजी हर गुरुवार को अपने श्रद्धावान मित्रों से प्रवचन के माध्यम से संवाद करते हुए विभिन्न क्षेत्रों के सामान्य ज्ञान एवं अध्यात्म को जोड़ते हैं। बापूजी ने अपने इस संवाद द्वारा अनेक वैश्विक रहस्य उन्मुक्त कर, आसान करके समझाए हैं। ‘स्वार्म इंटेलिजन्स’, ‘केमट्रेल्स’, ‘हार्प टेक्नॉलॉजी’, ‘नॅनोटेक्नॉलॉजी’ जैसे विज्ञान-टेक्नॉलॉजी की अनजानी बातों समेत ‘श्रेष्ठतम् वैज्ञानिक डॉ. निकोला टेसला’ की पहचान और व्यक्तिगत आरोग्य से जुडी़ कई महत्वपूर्ण बातों का अहसास गुरुवार के संवाद द्वारा कराया है, और यह संवाद निरंतर जारी है।
2. दैनिक प्रत्यक्ष –
डॉ. अनिरुद्ध धैर्यधर जोशीजी ने सन 2005 में आरम्भ किए हुए दैनिक के जरिए तो सामान्य ज्ञान का ख़जाना सभी के लिए खोला है। दैनिक प्रत्यक्ष द्वारा निरंतर विभिन्न क्षेत्रों की जानकारी उपलब्ध कराई जाती है। इसमें अर्थशास्त्र, शेअरबाजार, कानून, यात्रा, चिकित्सा विज्ञान, कायदा, सूचना प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, ग्रामीण विकास जैसे विभिन्न विषय लिए जाते हैं। इसके अलावा खबरों में से दैनंदिन घटनाओं की जानकारी मिलने से हररोज जानकारी अद्यतन रहने में सहायता मिलती है। हर वर्ष ’दैनिक प्रत्यक्ष’ के वर्धापन दिन तथा नववर्ष विशेषांक प्रकाशित होते हैं। नियमित प्रकाशित होनेवाले दैनिक के संस्करण के साथ -साथ साल में प्रकाशित होनेवाले विशेषांक मानो ज्ञान का ख़जाना ही होते हैं और आज तक हजारों पाठकों ने इसका लाभ उठाया है।
3. एक्स्पोनंट ग्रुप ऑफ जर्नल्स –
कम्प्यूटर के साथ -साथ स्मार्टफोन एवं इन्टरनेट की वजह से ज्ञान का प्रवाह अखंडरूप से जारी रखने की सुविधा उपलब्ध है। इसी के आधार पर और ’जितने व्यक्ति उतने व्यक्तित्व’ इस तत्वानुसार हरएक की अलग- अलग विषय की पसंद को ध्यान में रखते हुए ‘एक्स्पोनंट ग्रुप ऑफ जर्नल्स’ की रचना की गई है।
‘ई-जर्नल्स’ स्वरूप ‘एक्स्पोनंट ग्रुप ऑफ जर्नल्स’ की सहायता से चुनिंदा विषयों के ज्ञान में अधिकाधिक वृद्धि होने में सहायता मिलती है। हर तीन महीनों में आठ विषयों पर ’ई-जर्नल्स’ प्रकाशित किए जाते हैं। उनमें जनरल इंजीनियरिंग, चार्टर्ड अकाउंटन्सी, स्टॉक ऐण्ड शेअर मार्केट, प्रोफेशनल मेडिसिन, एमबीए, इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक्स् एवं हेल्थ ऍण्ड हेल्थ सर्विसेस इन्फॉर्मेशन इन विषयों का समावेश है।
4. सेमिनार्स –
अधिकांश समय हम अपने कार्यों में इतने व्यस्त रहते हैं कि अपने क्षेत्र में तथा अपने आसपास की परिस्थिति में क्या -क्या बदलाव हो रहे हैं इस पर भी गौर करने की फुरसत नहीं होती। हम भले ही अपने आसपास की परिस्थिति के प्रति सजग न रहें तब भी सद्गुरु अनिरुद्ध बापूजी हमेशा वास्तव का भान रखते हुए सजग रहते हैं।
इसीसे सद्गुरु अनिरुद्ध बापूजी ने जुगाड, नॅनोटेक्नॉलॉजी, क्लाऊड कम्प्युटींग, सोशल मिडीया, स्वार्म इंटेलिजन्स, अटेंशन इकॉनॉमी, होलोग्राफी, डॉ. निकोला टेसला तथा अन्य कई विषयों पर सेमिनार आयोजित किए। इन सभी सेमिनारों में बापूजी का अथक परिश्रम एवं अविरत अध्ययन सबसे महत्वपूर्ण बात थी। केवल सामान्य ज्ञान बढा़ने हेतु ही नहीं बल्कि, यह सामान्य ज्ञान रोजमर्रा के इस्तेमाल में कैसे लाया जाए इस पर सद्गुरु अनिरुद्ध बापूजी का अधिकाधिक जोर होता है। सेमिनार द्वारा प्रस्तुत की गई अनेक बातें आज संस्था के विभिन्न उपक्रमों द्वारा उचित एवं यशस्वी तौर पर इस्तेमाल की जाती हैं।
’पहले किया फिर बताया’ इस उक्तिनुसार जनरल नॉलेज बढा़ने हेतु सद्गुरु अनिरुद्ध बापूजी स्वयं बहुत परिश्रम करते हैं। हर कोई ऐसे परिश्रम कर पाए इसके मद्देनजर वे विभिन्न तरीकों से जितना आवश्यक है उतना सामान्य ज्ञान उपलब्ध कराने के प्रति सदैव प्रयासशील रहते हैं। उनके इन प्रयासों का लाभ उठाकर हर कोई इस ’जनरल नॉलेज बैंक’ में सक्रिय सहभाग के लिए प्रयास करे तो बदलते हुए समय के प्रवाह में कभी भी पिछड़ने का डर नहीं रहेगा।