इको फ्रेंडली गणेशमूर्ति कार्यशाला:

सन 2004 में सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापूजी (डॉ. अनिरुद्ध धैर्यधर जोशी – एम.डी. मेडिसिन) की प्रेरणा एवं मार्गदर्शन के अन्तर्गत श्री अनिरुद्ध उपासना फाऊंडेशन द्वारा कागज का लग्दा  (पल्प) तथा कुदरती तरीके से आसानी से पिघलनेवाली सामग्री का इस्तेमाल करके इको फ्रेंडली गणेशमूर्तियां बनाई जाती हैं।

ये मूर्तियां बनाने के लिए इस्तेमाल किये जानेवाले कागज का लग्दा (पल्प) अनिरुद्धाज युनिवर्सल बैंक ऑफ रामनाम के अंतर्गत जमा की जानेवाली पवित्र रामनाम बहियों के पन्नों से बनाया जाता है। गणेशमूर्तियां कागज के लग्दे (पल्प) में कुदरती गोंद मिलाकर बनाई जाती हैं। इन मूर्तियों से किसी भी तरह की अशुद्ध वायु बाहर उत्सर्जित नहीं होती और ये पानी में पूरी तरह से विसर्जित हो जाती हैं। मूर्तियां बनाने के लिए कुदरती गोंद, व्हाईटनर जैसे पर्यावरणपूरक चीजों का इस्तेमाल किया जाता है।

अब यह उपक्रम महाराष्ट्र में 138 स्थानों में फैला हुआ है, जिसमें प्रमुख तौर पर मुम्बई, पुणे, सातारा, कोल्हापुर, धुलिया और रत्नागिरी विभाग शामिल हैं। इस उपक्रम में 2900 से अधिक प्रशिक्षित श्रद्धावानों का समावेश है। पर्यावरण संवर्धन के फायदों को मद्देनजर रखते हुए अब इको-फ्रेंडली गणेशमूर्तियों की मांग बड़े पैमाने पर बढ़ती जा रही है।

Eco – Friendly Ganesh Workshop held at Bandra

इको फ्रेंडली गणेशमूर्ति:

हमारी संस्था द्वारा इको फ्रेंडली गणेशमूर्ति बनाने के मुफ्त शिविर आयोजित किए जाते हैं जिनमें मूर्ति बनाने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। सन 2004 में 335 गणेशमूर्तियां बनाई गई थीं, अब इस उपक्रम में मूर्तियों की संख्या कई गुना बढ़ चुकी है। इस वर्ष 4000 से अधिक मूर्तियां बनाई गईं।

Image captions

– श्रद्धावान – इको फ्रेंडली गणेशमूर्तियां बनाते हुए

– सांचे से निकाली गई गणेशमूर्तियों पर स्प्रे पेंटिंग (रंग) किया जा रहा है।

– श्रद्धावान कागज का लग्दा सांचे में भर रहे हैं।

– बेस रंग लगी हुई इको फ्रेंडली गणेशमूर्तियां

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