वैभवलक्ष्मी पूजन उत्सव
माना जाता है कि, मार्गशीर्ष महीना सभी महीनों में सर्वश्रेष्ठ है। इसी महीने में श्रद्धावान ’वैभवलक्ष्मी व्रत’ रखते हैं। माता वैभवलक्ष्मी श्रद्धावान को सुख एवं आनंद प्रदान करने के लिए हमेशा उत्सुक रहती हैं, तथा वे श्रद्धावानों के जीवन में आनेवाली पीडाएं, दुष्प्रारब्ध एवं संकटों से रक्षा करती हैं, ऐसा श्रद्धावानों का विश्वास है। माता वैभवलक्ष्मी भगवान महाविष्णुजी की शक्ति हैं। हमारे लिए वे अभ्युदय, वैभव, कृपा, सुख एवं सोलह ऐश्वर्य प्रदान करनेवाली महाविष्णुजी के कार्य की अधिष्ठात्री देवता हैं।
जहां पर परमात्मा के चरण हैं, उनकी पूजा की जाती है, जहां परमात्मा द्वारा निर्देशित श्रद्धायुक्त सेवा-भक्ति हो वहीं लक्ष्मीजी का वास होता है। नैवेद्य के रूप में श्रीलक्ष्मीमाता को पांच तरह के पक्वान – दाल-चावल, रोटी-सब्जी या फिर केवल पानी भी प्रेम से अर्पण किया जाए तब भी वे प्रेम से उसे स्वीकारती हैं। मगर वास्त्व में देवी माता को जो पांच पक्वान प्रिय हैं वे हैं –
१) स्वच्छता
२) परिश्रम
३) श्रद्धा
४) सबूरी
५) उचित स्थान पर किया गया दान
और निश्चितरूप से ’पावित्र्य ही प्रमाण’ इस एक तत्व पर। जो श्रद्धावान इन पांच गुणों का स्वीकार करते हैं उन्हें श्रीलक्ष्मीमाता का प्रसाद नित्यरूप से प्राप्त होता रहता है।
हर वर्ष मार्गशीर्ष महीने में हर शुक्रवार को श्री क्षेत्र जुईनगर में वैभवलक्ष्मी पूजन का उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। श्रीवैभवलक्ष्मी की संगमर्मरी मूर्ति मंदिर में आद्यपिपा समाधि स्थान के कमलदल में प्रतिष्ठित की जाती है। इसके पश्चात अभिषेक तथा होम हवन आरम्भ किया जाता है। इस उत्सव में कई श्रद्धावान खुशी से एवं उत्साह से शामिल होते हैं। होम के आवर्तन सुबह ८.३० बजे से रात के ८.०० बजे तक जारी रहते हैं।
होम के दौरान किए जानेवाले आवर्तन में श्रद्धावान शामिल हो सकते हैं। इसके बाद श्रद्धावान पुरुष एवं महिलाएं इच्छानुसार चुनरी अथवा ओटी माता वैभवलक्ष्मी को अर्पण कर सकते हैं। श्रीक्षेत्र गुरुकुल, जुईनगर में मनाया जानेवाला यह वैभवलक्ष्मी उत्सव श्रद्धावानों के लिए पर्व के समान ही होता है।